Á߾ӹ濪´ëÃ¥º»ºÎ¿¡¼´Â Äڷγª¹ÙÀÌ·¯½º°¨¿°Áõ-19 ´ëÀÀ Áöħ(ÁöÀÚü¿ë) Á¦13ÆÇÀ» ºÙÀÓ°ú °°ÀÌ °³Á¤ÇÔÀ» ¾Ë·Á¿Â ¹Ù, Âü°íÇÏ¿© Áֽñ⠹ٶø´Ï´Ù.
- ´Ù À½ -
°¡. Áö ħ ¸í : Äڷγª¹ÙÀÌ·¯½º°¨¿°Áõ-19 ´ëÀÀ Áöħ(ÁöÀÚü¿ë) Á¦13ÆÇ
³ª. °³Á¤»çÀ¯ : Æ÷½ºÆ® ¿À¹ÌÅ©·Ð ´ëÀÀü°è, °¨¿°º´ µî±Þ Á¶Á¤(1±Þ→2±Þ) µî º¯ÈµÈ Äڷγª19 ´ëÀÀü°è ¹Ý¿µ
´Ù. ½Ã Çà ÀÏ : 2022. 4. 25.(¿ù)
¹øÈ£ | Á¦¸ñ | ÀÛ¼ºÀÚ | µî·ÏÀÏ | Á¶È¸ |
---|---|---|---|---|
671 | [°øÁö»çÇ×] | ¹Ú³ëÁØ | 02.04.04 | 1873 |
670 | [ÀÇ·á°è´º½º] | ¹Ú³ëÁØ | 02.04.04 | 1750 |
669 | [ÀÇ·á°è´º½º] | ¹Ú³ëÁØ | 02.04.04 | 1773 |
668 | [ÀÇ·á°è´º½º] | ¹Ú³ëÁØ | 02.04.04 | 1787 |
667 | [ÀÇ·á°è´º½º] | ¹Ú³ëÁØ | 02.04.04 | 1852 |
666 | [°øÁö»çÇ×] | ¿î¿µÀÚ | 02.04.02 | 1907 |
665 | [ÀÇ·á°è´º½º] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.04 | 1819 |
664 | [ÀÇ·á°è´º½º] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.04 | 1923 |
663 | [ÀÇ·á°è´º½º] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.04 | 1904 |
662 | [ÀÇ·á°è´º½º] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.04 | 1905 |
661 | [ÀÇ·á°è´º½º] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.04 | 1872 |
660 | [ÀÇ·á°è´º½º] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.04 | 2025 |
659 | [°øÁö»çÇ×] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.04 | 1945 |
658 | [°øÁö»çÇ×] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.04 | 2041 |
657 | [°øÁö»çÇ×] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.04 | 2067 |
656 | [°øÁö»çÇ×] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.04 | 2067 |
655 | [ÀÇ·á°è´º½º] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.02 | 1828 |
654 | [ÀÇ·á°è´º½º] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.02 | 1867 |
653 | [ÀÇ·á°è´º½º] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.02 | 1953 |
652 | [ÀÇ·á°è´º½º] | °ü¸®ÀÚ | 02.03.02 | 1951 |